नई दिल्ली। माता-पिता के अंतरंग संबंधों पर भद्दा मजाक करने वाले यूट्यूबर Ranveer Allahabadia को सुप्रीम कोर्ट से राहत तो मिली, लेकिन अदालत ने उन्हें जमकर फटकार भी लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई, गुवाहाटी और जयपुर में दर्ज एफआईआर में रणवीर की गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगाई, लेकिन कोर्ट की तल्ख टिप्पणी ने उनकी तथाकथित कॉमेडी की पोल खोल दी।

जस्टिस सूर्यकांत और एन. कोटिस्वर सिंह की पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा, “अगर यह अश्लीलता नहीं है, तो फिर अश्लीलता क्या है?” अदालत ने साफ किया कि इस तरह की कॉमेडी किसी भी सभ्य समाज के लिए स्वीकार्य नहीं हो सकती।

सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि, “इस तरह की बेहूदा बातों से माता-पिता, बहनें और बेटियां शर्मिंदा होंगी। पूरा समाज इसे अशोभनीय मानेगा। अगर इस तरह की वाहियात हरकतों पर रोक नहीं लगी, तो समाज के बिखरने और पथभ्रष्ट होने की आशंका बढ़ जाएगी।”

रणवीर के खिलाफ दर्ज एफआईआर में फिलहाल राहत जरूर मिली है, लेकिन कोर्ट की कड़ी फटकार ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या सोशल मीडिया पर कंटेंट के नाम पर किसी भी हद तक जाने की छूट दी जानी चाहिए? क्या डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अश्लीलता परोसने वालों पर सख्त कार्रवाई की जरूरत नहीं है?

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