जांजगीर-चांपा 16 दिसम्बर 2025/ महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को अधिक पारदर्शी और परिणामोन्मुखी बनाने की दिशा में भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। युक्तधारा पोर्टल के माध्यम से जिले में ग्राम पंचायतों के विकास को वैज्ञानिक और पारदर्शी स्वरूप दिया जा रहा है। जिले की कुल 334 ग्राम पंचायतों में से 282 ग्राम पंचायतों में जीआईएस आधारित ग्राम पंचायत विकास योजना तैयार करने की प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई है। इसके माध्यम से अब गांवों का विकास केवल मांग आधारित न होकर वास्तविक भौगोलिक और संसाधन आधारित आंकड़ों पर किया जाएगा।
कलेक्टर श्री जन्मेजय महोबे के निर्देशन तथा जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री गोकुल रावटे के मार्गदर्शन में बलौदा, अकलतरा, पामगढ़, नवागढ़ और बम्हनीडीह विकासखंडों में इस प्रणाली को प्रभावी रूप से अपनाया जा रहा है। पंचायत सचिव, रोजगार सहायक, तकनीकी सहायक एवं ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों को युक्तधारा पोर्टल एवं क्लार्ट के उपयोग हेतु प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया है।
*सैटेलाइट मैप से दिखेगा गांव का हर संसाधन, योजनाओं की प्राथमिकताएं होंगी स्पष्ट -*
युक्तधारा पोर्टल के अंतर्गत जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों की सहभागिता से ग्राम संसाधनों का विस्तृत डाटा एकत्र किया जा रहा है। इसमें जल स्रोत, तालाब, नाले, सड़क, भवन, कृषि भूमि, बंजर भूमि, वन क्षेत्र, शिक्षण संस्थान, आंगनबाड़ी, पेयजल स्रोत, शौचालय, पुल-पुलिया, सामुदायिक भवन सहित अन्य आधारभूत संरचनाओं की जानकारी शामिल है। यह संपूर्ण डाटा जीआईएस मैप से मिलान कर पोर्टल में अपलोड किया जा रहा है। पंचायतों में संसाधन मानचित्रण के लिए रोजगार सहायकों एवं पंचायत सचिवों की संयुक्त टीमें गठित की गई हैं, जो स्थल निरीक्षण कर सैटेलाइट मैप से आंकड़ों का सत्यापन कर रही हैं। युक्तधारा पोर्टल भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय और इसरो की संयुक्त पहल है, जिसके माध्यम से गांव का सैटेलाइट दृश्य उपलब्ध होता है और डिजिटल आकलन संभव हो पाता है।
इस प्रणाली से जलभराव और जल संकट वाले क्षेत्रों की अलग-अलग पहचान की जा रही है। इसके आधार पर तालाब, जलाशय, चेक डैम, लघु सिंचाई संरचनाएं, भूमि सुधार एवं नाला सुधार जैसे कार्यों को प्राथमिकता दी जा रही है। जीआईएस आधारित योजना से प्रत्येक ग्राम पंचायत की प्राथमिकता सूची, उपलब्ध संसाधन, विकास की कमियां, भौगोलिक बाधाएं तथा सामाजिक-आर्थिक आवश्यकताएं स्पष्ट रूप से सामने आ रही हैं, जिससे गांवों का सतत और संतुलित विकास सुनिश्चित होगा।


